जो कभी इन आंखों में स्वप्न ही बनी थी।
पूछती हूं आज खुद से,
कि किस राह पर वो खो गए।
जिसके लिए रखें कदम कदम
वो कदम भी आज धुंधला गए
पूछती हूं आज खुद से
कि किस राह पर वो खो गए।
जग जगाया दिख रहा है
दिख रही एक रोशनी,
फिर जगाऊं उन स्वप्न को,
राम लूं मेहनत का हाथ
चल पड़ूं उस मार्ग पर
जिस मार्ग पर वो धुंधला गए
जिस मार्ग पर वो खो गए।
मुश्किल सा लग रहा है सफर
लेकिन जूनून की लौह बाकी है दिल में,
मंजिलें बहुत दूर ही सही
लेकिन हिम्मत अभी भी बाकी है कदमों में,
मन की चाह भरु रंग उस तस्वीर में
धुंधला गयी थी जो किसी राह पर
मंजिलें पुकारती सी सुनाई पड़ती है।
दिल कहता है फिर बंदु उस राह पर
जिस राह पर स्वप्न वो खो गए।
Also Read:-
Post a Comment