Hindi Motivational Poem |
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का Student-Motivation.com में दोस्तों आज हम ले के आये है आप सभी के लिए वेबसाइट की सभी Hindi Motivational Poem संग्रह जिसमे हमारे l Authors की लिखी सभी Poems का और संकलित कविताओं का पूरा संग्रह है
तो पहली Hindi Motivational Poem जिसके साथ हम अपनी पोस्ट की शुरुवात करने जा रहे है वो है - तुम क्या मुझे हारोगे ( Hindi Motivational Poem )
तुम क्या मुझे हाराओगे !!!
Hindi Motivational Poem by Sapna Negi (Vaani)
नमस्कार आप सभी को। मेरी आज की Hindi Motivational Poem एक लड़की की भावनाओं को प्रकट करती हैं।कही बार हमारे साथ ऐसा होता है कि हम खुद की गलतियो पर विचार करने के बजाय समाज द्वारा कहे गए तानो पर ज्यादा ध्यान देते हैं।ये कविता ये दिखाती है कि अपनी गलती को ज्यादा समय दीजिये।ओर उनको हटाइए अपने जीवन से। बरोसा रखिये खुद पर।जीत आपकी होनी तय है।तो प्रांरभ करते हैं आज की Hindi Motivational Poem को।।।
तुम क्या मुझे हाराओगे !!! Hindi Motivational Poem by Sapna Negi (Vaani) |
तुम क्या मुझे हाराओगे !!!
Hindi Motivational Poem by Sapna Negi (Vaani)
मुझे नही पड़ता फर्क किसी के कोसे. जाने से।
मैं नहीं गिरने वाली अब दुनिया के तानो से।
मुझे मुझ मैं ही हर दिन कुछ नया परिवर्तन करना है।
तूुम रखो दूसरो से. प्रतिस्पर्धाा
मुुझे तो अब खुद मुझसे ही लडना है।
मुझे नही जरूरत अब तुम्हारे झूठे दिलासाओ की ।
मै खुद को पहचान चूकी हूँ।
अब और नही बनेगा मेरी कमियो का तमाशा।
अब खुद को बेहतर से ।
बेहतरीन बनाऊँगी ।
तुम बने रहो दीपक का प्रकाश मै तो ।
सुरज बन जग चमकाउँगीं।।।
जिन कमियों पर ठहाके मार ।
हसाँ था न जग सारा ।
देख लेना तुम ।।
एक दिन लगेगा ,मेरे नाम का ही नारा।
मेरे दृढ निश्चय ओर आत्म अवलोकन ।
को तुम क्या रोक पाओगें ?
मैनै खुद को ही जीत लिया अब ।।
- Sapna Negi
मेरे छोटे सपने
दोस्तों.... स्वागत है आप सभी का Hindi Motivational Poem की कविता में
आजकल ऐसा होता है हम सपने तो बहुत देखते हैं...सोच लेते हैं हमें क्या करना है अपनी जिंदगी में ....लेकिन ख्वाब में देखे हुए सपनों को जो हकीकत में बदले ऐसे बहुत कम होते हैं,,,,क्योंकि हम थोड़ी सी नाकामयाबी पर उदास हो जाते हैं,,,और अपने देखे हुए सपनों को छोड़ देते हैं... और उस काम को करने में लग जाते हैं जिससे हमें कभी खुशी नहीं मिल सकती क्योंकि हमारी खुशी त़ो हमारे उन सपनों में थी जो हमने छोड़ दिए.....तो इसी के ऊपर मेरी यह कविता है....
मेरे छोटे सपने
Hindi Motivational Poem
मंजिल मुश्किल है,,,,
चलना तो होगा,,,
सपना जो मेरा है,,,,
पूरा करना तो होगा,,,
माना मुश्किल है मंजिल तक पहुंचना"""
लेकिन अपने लिए मुझे कुछ करना तो होगा,,,
मेरे उन सपनों से"""
मेरे अपनों ने अपने सपने बांध दिए,,,,
पापा ने उन्हें अपना बनाया""
तो मां ने उन्हें सवार दिए""
अब अगर मैं हार मानकर बैठ जाऊं,,,,
तो मेरे लिए वो एक 'शोक' होगा...
लेकिन मेरे मां-पापा को तो उदासी से मिलना होगा””
अब सोच लिया मैंने,,,
उन्हें पूरा करके दिखाना है""
दुनिया की इस भीड़ में,,,
मुझे अपना नाम बनाना है"""
रास्तों को तो देख लिया, बस चलना बाकी है,,,
अब सब सोच लिया, पूरा करना बाकी है,,,,!!!!!!!!!!!
By: Teena Pareek (Vishu)
लोग क्या कहेंगे
Hindi Motivational Poem
Stop Prejudging |
हर काम को करने से पहले ,
उस का परिणाम घोषित कर देते हैं ।
ये मेरा भारत ही है ,मेंरे दोस्त
यहाँ लोग चार लोगों के कहने पर चलते हैं।🙄
लोग क्या कहेगें ?ये सोच सोच कर 🤔
अपनी ख़ुशीयो का गला तक घोटँ देते हैं ।🤐
ये मेरा नव भारत हैं,मेरे दोस्त 😑
यहाँ लोग ज़िन्दगी जीते नहीं
ज़िन्दगी काटते हैं ।😕
खुद पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं होता हन्हें ।
लोँगो के कहने पर आ जाते हैं
चार लोगों की चार बातो में आकर।😂
अपना सब कुछ खो देते हैं ।😠
आखिर है कौन ये चार लोग??🤔🤔🤔🤔
जिनका ज़िक्र हर जगह आता हैं।👀
ये करो ओर ये न वरना चार लोग क्या कहेगें??😱
वाला ताना हर जगह सुनाया जाता हैं।😡
हिंदी मोटिवेशनल पोयम् |
एक अजीब से खौफ़नाक डर में जीते हैं ।😱
ये मेरा भारत है, मेंरे दोस्त 😒
यहाँ लोग चार लोगों से पहले खुद ही परेशान हो ।
चार लोग बन जाते हैं। 😮
आखिर कब तक इन चार लोगों की
चार दिवारी में अपना सर पटकोगे😢
तुम्हारी भी खुशीयाँ है यार ☺
कब अपना मुकद्दर खुद रचोगें??
भुल जाओ इन चार लोगों की चार बाँते।
चलो अपने ढंग से अपना रास्ता चुनते हैं।
बस थोड़ा सा आत्मविश्वास ले आओ अपने अन्दर 🤗।
चलो अब अपने सपनो का जाला बुनतें हैं ।।
चलो अब इन चार लोगों से लड़ते है ।।।☺☺☺
By: Sapna Negi (Vani )
स्वीकार कर !! Hindi Motivational Poem
उठ, चल कुछ अब विचार कर..
खामियों को अपने लिये स्वीकार कर..
अड़चनों से तू इक क़रार कर..
कर लेगा फ़तह तू अपने ही युद्ध को
संघर्षो का सामना हर बार कर..
उठ, चल कुछ अब विचार कर..
तेरी अड़चने तुझ पर हावी है
तो क्या हुआ.
हर बार अपने लिये तू काम कर...
सोच मत तू अंतिम परिणाम को
इस क्षण का तो एहसास कर...
@आखिरी पन्ना
© दीपक
मन में अगर ठान लो तो Hindi Motivational Poem
मन में अगर ठान लो तो Hindi Motivational Poem
मन में अगर ठान लो तो Hindi Motivational Poem |
मन में अगर ठान लो तो
हम हर काम कर सकते हैं
फैली अज्ञानता के अंधेरे को हम
ज्ञान के प्रकाश में बदल सकते हैं
मंजिलें दूर है मगर धीरे धीरे
चल पार कर सकते है
मन में अगर ठान लो तो
हम हर काम कर सकते हैं
दूर दिखा जो आसमां उसे
करीब से छू सकते हैं
हर असंभव कार्य को
संभव कर सकते हैं
कठिनाइयों से भरी राह को
सरलता में बदल सकते हैं
मन में अगर ठान लो तो
हम हर काम कर सकते हैं
पहचान अंदर की शक्ति को
हर काम बेहतर बना सकते है
हौसला हो बुलंद तो
मंजिल को पर कर सकते है
कठिन परिश्रम से सही
उत्तीर्ण हम हो सकते है
मन में अगर ठान लो तो
हम हर काम कर सकते है
ढूंढ़कर जवाबों को
हर सवाल हल कर सकते है
समुद्र की भांति जोश लाकर
दुनिया भी बदल सकते है
समय की बहती जो धारा
जो रुकती नहीं एक पहर
सदुपयोग कर उसका हम
मंजिल को पा हम सकते है
मन में अगर ठान लो तो
हम हर काम कर सकते है |
The harder you fall
The stronger you climb
The stronger you climb
The higher you reach
Always believe in yourself.
अग्निपथ
Hindi Motivational Poem
Hindi Motivational Poem |
इस कविता का तात्पर्य है की आपको हर परिस्थिति में पुरे धैर्य शक्ति और पूरी एकाग्रता के साथ अपने अग्निपथ अर्थात अग्नियुक्त मार्ग के सामान अपने कठिन उद्देश्य का पीछा कीजिये चाहे जितनी कठिनाई क्यों न सामने आ जाये। आपको लड़ना है आपके सामने आने वाली हर बाधा से लड़ना होगा यही आपका कर्म है - कविवर डॉ हरिवंश राय बच्चन जी कहते है की वृक्ष रुपी ये बेहरूपी दुनिया चाहे जितनी सक्षम और समृद्ध हो आपको उससे भीख रूपी छाव नहीं मांगनी है स्वयं को सक्षम बनाने के अग्निपथ पर निरंतर बढ़ते रहना है।आज शपथ ले की चाहे जितनी भी कठिनाइयां आ जाएं चाहे जितनी असफलता मिले लेकिन तब भी आपको कर्म के अग्निपथ पर बनाये रखना।
अग्निपथ
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँव भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
-हरिवंश राय बचन
राही तू क्यों भटक रहा?? Hindi Motivational Poem
राही तू क्यूँँ भटक रहा हैं,
मंजिलें तेरे पास मे है।
फिर भी तू भटक रहा है,
जाने किसकी तलाश है।
ना जाने कहां तू खो गया,
यादों के बीज बो गया।
यादों को मिठ जाने दे,
बीती बातों को भूल जा,
नए पल को आने दे,
मन की आवाज को,
जुबा पर आने दे।
मंजिल तेरे सामने हैं,
राही खुद को आगे बढ़ जाने दे।
आगे बढ़ते जा किसी से मत घबरा,
जरा कदमों को भी लडखडाने दे।
लडखडाकर तू खुद को संभाल ,
और बहुत दूर तक जाने दे।
चुनौतियां हर एक कदम पर,
तू झे पुकार रही हैं।
चुनौतियों को आने दे,
मंजिल मिल जाने दे।
चुनौतियों को स्वीकार कर,
राह को मुश्किल बन जाने दे।
राही तू हिम्मत रख
हौसला बुलंद कर जाने दे।
राही तू क्यूँ भटक रहा है,
मंजिलें तेरे पास मे है।
फिर भी तू भटक रहा है,
जाने किसकी तलाश है।
पंछियों की तरह,
ऊंची उडान भरनी है तो,
पंखों को फडफडाने दे।
एक बार गिर भी जाए तो,
खुद को संभल जाने दे।
पलभर मे नहीं मिल जाता सब कुछ
सही वक्त को आने दे।
यूं ही वक्त को फिजूल मे जाया न कर,
इसे अपनी मेहनत मे बीत जाने दे।
अपने लक्ष्य को ध्यान में रख,
खुद को आगे बढ़ जाने दे।
पंखों को समेटना छोड़,
ऊंची उडान भरने के लिए उन्हें फडफडाने दे,
रातों की नींदों को त्याग अब,
सफलता कीओर कदम बड़ जाने दे
बंद आंखों से सपनें देखना छोड़,
उन्हें पूरा करने की ठान ले,
राही तेरा सफर बहुत लम्बा है,
अपने पथ पर चलने की ठान ले,
हर वक्त तेरी परीक्षा ली जाएगी,
सफलता के लिए इन्हें बहतरीन मान ले।
साहस अगर तू झमें भरा होगा,
कोई नहीं तू झे हरा सकता हैं।
एक दिन तेरा भी नाम होगा,
मेहनत करते जा केवल लक्ष्य पर ध्यान दे।
जितनी भी कमियां रह गई,
उन्हें सुधार ले।
तू झे केवल तू ही बना सकता हैं,
यह बात तू भी मान ले।
-Diksha
राही तू क्यों भटक रहा?? Hindi Motivational Poem
राही तू क्यूँँ भटक रहा हैं,
मंजिलें तेरे पास मे है।
फिर भी तू भटक रहा है,
जाने किसकी तलाश है।
ना जाने कहां तू खो गया,
यादों के बीज बो गया।
यादों को मिठ जाने दे,
बीती बातों को भूल जा,
नए पल को आने दे,
मन की आवाज को,
जुबा पर आने दे।
मंजिल तेरे सामने हैं,
राही खुद को आगे बढ़ जाने दे।
आगे बढ़ते जा किसी से मत घबरा,
जरा कदमों को भी लडखडाने दे।
लडखडाकर तू खुद को संभाल ,
और बहुत दूर तक जाने दे।
चुनौतियां हर एक कदम पर,
तू झे पुकार रही हैं।
चुनौतियों को आने दे,
मंजिल मिल जाने दे।
चुनौतियों को स्वीकार कर,
राह को मुश्किल बन जाने दे।
राही तू हिम्मत रख
हौसला बुलंद कर जाने दे।
राही तू क्यूँ भटक रहा है,
मंजिलें तेरे पास मे है।
फिर भी तू भटक रहा है,
जाने किसकी तलाश है।
पंछियों की तरह,
ऊंची उडान भरनी है तो,
पंखों को फडफडाने दे।
एक बार गिर भी जाए तो,
खुद को संभल जाने दे।
पलभर मे नहीं मिल जाता सब कुछ
सही वक्त को आने दे।
यूं ही वक्त को फिजूल मे जाया न कर,
इसे अपनी मेहनत मे बीत जाने दे।
अपने लक्ष्य को ध्यान में रख,
खुद को आगे बढ़ जाने दे।
पंखों को समेटना छोड़,
ऊंची उडान भरने के लिए उन्हें फडफडाने दे,
रातों की नींदों को त्याग अब,
सफलता कीओर कदम बड़ जाने दे
बंद आंखों से सपनें देखना छोड़,
उन्हें पूरा करने की ठान ले,
राही तेरा सफर बहुत लम्बा है,
अपने पथ पर चलने की ठान ले,
हर वक्त तेरी परीक्षा ली जाएगी,
सफलता के लिए इन्हें बहतरीन मान ले।
साहस अगर तू झमें भरा होगा,
कोई नहीं तू झे हरा सकता हैं।
एक दिन तेरा भी नाम होगा,
मेहनत करते जा केवल लक्ष्य पर ध्यान दे।
जितनी भी कमियां रह गई,
उन्हें सुधार ले।
तू झे केवल तू ही बना सकता हैं,
यह बात तू भी मान ले।
-Diksha
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
Hindi Motivational Poem
Hindi Motivational Poem for Students
जिन राहों पर दुश्मनों की निगाह होती है,
वो राहें ही हमारे लिए सर्वोपरि होती हैं !
मुश्किलों के राह मे चलने के कारण,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
लोगों को कुछ पाने की तड़प होती है,
पर उनकी ये ख्वाब पूरी नहीं होती है!
चूंकि उनके जीवन में आलस्य होती हैं,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
बीते हुए समय कभी नहीं लौटते हैं,
उन राहों में अपने भी खो जाते हैं!
फूलों और कांटों के ऊपर बनी,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
काबिलियत से ही लोगों की पहचान होती है,
कर्मों से ही सपने स्वीकार होती हैं!
उन सब कर्मों को आज का अभी करें क्योंकि,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
जिन राहों पर दुश्मनों की निगाह होती है,
वो राहें ही हमारे लिए सर्वोपरि होती हैं !
मुश्किलों के राह मे चलने के कारण,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
लोगों को कुछ पाने की तड़प होती है,
पर उनकी ये ख्वाब पूरी नहीं होती है!
चूंकि उनके जीवन में आलस्य होती हैं,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
बीते हुए समय कभी नहीं लौटते हैं,
उन राहों में अपने भी खो जाते हैं!
फूलों और कांटों के ऊपर बनी,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
काबिलियत से ही लोगों की पहचान होती है,
कर्मों से ही सपने स्वीकार होती हैं!
उन सब कर्मों को आज का अभी करें क्योंकि,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं!!
परशुराम की प्रतीक्षा
हे वीर बन्धु ! दायी है कौन विपद का ?
हम दोषी किसको कहें तुम्हारे वध का ?
यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ?
दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें।
पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है,
हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है।
घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है,
लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है,
जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है,
समझो, उसने ही हमें यहाँ मारा है।
जो सत्य जान कर भी न सत्य कहता है,
या किसी लोभ के विवश मूक रहता है,
उस कुटिल राजतन्त्री कदर्य को धिक् है,
यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं वधिक है।
चोरों के हैं जो हितू, ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं;
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है।
है कौन यहाँ, कारण जो नहीं विपद् का ?
किस पर जिम्मा है नहीं हमारे वध का ?
जो चरम पाप है, हमें उसी की लत है,
दैहिक बल को रहता यह देश ग़लत है.
नेता निमग्न दिन-रात शान्ति-चिन्तन में,
कवि-कलाकार ऊपर उड़ रहे गगन में.
यज्ञाग्नि हिन्द में समिध नहीं पाती है,
पौरुष की ज्वाला रोज बुझी जाती है.
ओ बदनसीब अन्धो ! कमजोर अभागो ?
अब भी तो खोलो नयन, नींद से जागो.
वह अघी, बाहुबल का जो अपलापी है,
जिसकी ज्वाला बुझ गयी, वही पापी है.
जब तक प्रसन्न यह अनल, सुगुण हँसते है;
है जहाँ खड्ग, सब पुण्य वहीं बसते हैं.
वीरता जहाँ पर नहीं, पुण्य का क्षय है,
वीरता जहाँ पर नहीं, स्वार्थ की जय है.
तलवार पुण्य की सखी, धर्मपालक है,
लालच पर अंकुश कठिन, लोभ-सालक है.
असि छोड़, भीरु बन जहाँ धर्म सोता है,
पातक प्रचण्डतम वहीं प्रकट होता है.
तलवारें सोतीं जहाँ बन्द म्यानों में,
किस्मतें वहाँ सड़ती है तहखानों में.
बलिवेदी पर बालियाँ-नथें चढ़ती हैं,
सोने की ईंटें, मगर, नहीं कढ़ती हैं.
पूछो कुबेर से, कब सुवर्ण वे देंगे ?
यदि आज नहीं तो सुयश और कब लेंगे ?
तूफान उठेगा, प्रलय-वाण छूटेगा,
है जहाँ स्वर्ण, बम वहीं, स्यात्, फूटेगा.
जो करें, किन्तु, कंचन यह नहीं बचेगा,
शायद, सुवर्ण पर ही संहार मचेगा।
हम पर अपने पापों का बोझ न डालें,
कह दो सब से, अपना दायित्व सँभालें.
कह दो प्रपंचकारी, कपटी, जाली से,
आलसी, अकर्मठ, काहिल, हड़ताली से,
सी लें जबान, चुपचाप काम पर जायें,
हम यहाँ रक्त, वे घर में स्वेद बहायें.
हम दें उस को विजय, हमें तुम बल दो,
दो शस्त्र और अपना संकल्प अटल दो.
हों खड़े लोग कटिबद्ध वहाँ यदि घर में,
है कौन हमें जीते जो यहाँ समर में ?
हो जहाँ कहीं भी अनय, उसे रोको रे !
जो करें पाप शशि-सूर्य, उन्हें टोको रे !
जा कहो, पुण्य यदि बढ़ा नहीं शासन में,
या आग सुलगती रही प्रजा के मन में;
तामस बढ़ता यदि गया ढकेल प्रभा को,
निर्बन्ध पन्थ यदि मिला नहीं प्रतिभा को,
रिपु नहीं, यही अन्याय हमें मारेगा,
अपने घर में ही फिर स्वदेश हारेगा।
-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
हार के अब तू जीतना सीख
Hindi Motivational Poem
Success पाना या सफल होना कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात बन जाती हैं। जब वे एक बार हारकर या असफल होकर हार मान देते हैं। पर दोस्तों कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो उस हार से सीखते हैं और पुनः जीतने का जुनून लिए सफल होने का प्रयास करते हैं। आज की ये छोटी सी Hindi Motivational Poem उन्ही हारे हुए लोगों में प्रेरणा जगाने के लिए है जिसकी पंक्तियां कुछ इस तरह है:-
Hindi Motivational Poem
हार के अब तू जीतना सीख
हार के अब तू जीतना सीख,
मिले मौके को बटोरना सीख, रह गया था तू मंजिल को पाने से, इस बार उस मंजिल को पाना सीख।
हार के अब तू जीतना सीख,
जो छोडें थे सीढ़ी पे कदम, उन कदमों के छापों को गाढना सीख, उठ खड़ा अब हो तु जा उस आसमा में जीना सीख, उस आसमा में उड़ान सीख।
हार के अब तू जीतना सीख,
लोगों की तोहीन को अब वाह-वाह में बदलना सीख, उठ खड़ा अब हो तु जा उस आसमा में जीना सीख, उस आसमा में उडना सीख।
अटका था जिन सवालों पे तू , उन सवालों को हल करके देख।
बहाएं थे जो आंसू हार में, उन आंसूओं को जीत में बदल के देख। उठ खड़ा अब हो तु जा उस आसमा में जीना सीख, उस आसमा में उडना सीख।
छोडी थी मेहनत हार मे,
उस मेहनत को पुनः कर के देख।
मीट्टी सा जो तु मीठ गया था,
पत्थरों पर उमड के देख ।
झूके शीश जो तेरी हार से,
उस शीश को उठाना सीख।
उठ खडा अब हो तू जा उस आसमा मे जीना सीख उस आसमा मे उडना सीख।
भरोसे थे जो तुझ पर उस भरोसे, को पुनः जगाना सीख।
रह गई थी जो सफलता उस सफलता को पुनः पाकर देख।
रेत सा जो तू बिखर गया था, अब बिखर के संभलना सीख।
उठ खडा अब हो तु जा उस आसमा मे जीना सीख, उस आसमा मे उडना सीख।
दोस्तों हार और जीत दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण भाग है, इसीलिए ये सब तो जीवन में चलता ही रहेगा लेकिन आपको सदैव ही डट कर उसका सामना करना है और विश्वास कीजिये की आप अवश्य सफल होंगे।
हे वीर बन्धु ! दायी है कौन विपद का ?
हम दोषी किसको कहें तुम्हारे वध का ?
यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ?
दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें।
पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है,
हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है।
घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है,
लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है,
जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है,
समझो, उसने ही हमें यहाँ मारा है।
जो सत्य जान कर भी न सत्य कहता है,
या किसी लोभ के विवश मूक रहता है,
उस कुटिल राजतन्त्री कदर्य को धिक् है,
यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं वधिक है।
चोरों के हैं जो हितू, ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं;
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है।
है कौन यहाँ, कारण जो नहीं विपद् का ?
किस पर जिम्मा है नहीं हमारे वध का ?
जो चरम पाप है, हमें उसी की लत है,
दैहिक बल को रहता यह देश ग़लत है.
नेता निमग्न दिन-रात शान्ति-चिन्तन में,
कवि-कलाकार ऊपर उड़ रहे गगन में.
यज्ञाग्नि हिन्द में समिध नहीं पाती है,
पौरुष की ज्वाला रोज बुझी जाती है.
ओ बदनसीब अन्धो ! कमजोर अभागो ?
अब भी तो खोलो नयन, नींद से जागो.
वह अघी, बाहुबल का जो अपलापी है,
जिसकी ज्वाला बुझ गयी, वही पापी है.
जब तक प्रसन्न यह अनल, सुगुण हँसते है;
है जहाँ खड्ग, सब पुण्य वहीं बसते हैं.
वीरता जहाँ पर नहीं, पुण्य का क्षय है,
वीरता जहाँ पर नहीं, स्वार्थ की जय है.
तलवार पुण्य की सखी, धर्मपालक है,
लालच पर अंकुश कठिन, लोभ-सालक है.
असि छोड़, भीरु बन जहाँ धर्म सोता है,
पातक प्रचण्डतम वहीं प्रकट होता है.
तलवारें सोतीं जहाँ बन्द म्यानों में,
किस्मतें वहाँ सड़ती है तहखानों में.
बलिवेदी पर बालियाँ-नथें चढ़ती हैं,
सोने की ईंटें, मगर, नहीं कढ़ती हैं.
पूछो कुबेर से, कब सुवर्ण वे देंगे ?
यदि आज नहीं तो सुयश और कब लेंगे ?
तूफान उठेगा, प्रलय-वाण छूटेगा,
है जहाँ स्वर्ण, बम वहीं, स्यात्, फूटेगा.
जो करें, किन्तु, कंचन यह नहीं बचेगा,
शायद, सुवर्ण पर ही संहार मचेगा।
हम पर अपने पापों का बोझ न डालें,
कह दो सब से, अपना दायित्व सँभालें.
कह दो प्रपंचकारी, कपटी, जाली से,
आलसी, अकर्मठ, काहिल, हड़ताली से,
सी लें जबान, चुपचाप काम पर जायें,
हम यहाँ रक्त, वे घर में स्वेद बहायें.
हम दें उस को विजय, हमें तुम बल दो,
दो शस्त्र और अपना संकल्प अटल दो.
हों खड़े लोग कटिबद्ध वहाँ यदि घर में,
है कौन हमें जीते जो यहाँ समर में ?
हो जहाँ कहीं भी अनय, उसे रोको रे !
जो करें पाप शशि-सूर्य, उन्हें टोको रे !
जा कहो, पुण्य यदि बढ़ा नहीं शासन में,
या आग सुलगती रही प्रजा के मन में;
तामस बढ़ता यदि गया ढकेल प्रभा को,
निर्बन्ध पन्थ यदि मिला नहीं प्रतिभा को,
रिपु नहीं, यही अन्याय हमें मारेगा,
अपने घर में ही फिर स्वदेश हारेगा।
-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
हार के अब तू जीतना सीख
Hindi Motivational Poem
Success पाना या सफल होना कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात बन जाती हैं। जब वे एक बार हारकर या असफल होकर हार मान देते हैं। पर दोस्तों कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो उस हार से सीखते हैं और पुनः जीतने का जुनून लिए सफल होने का प्रयास करते हैं। आज की ये छोटी सी Hindi Motivational Poem उन्ही हारे हुए लोगों में प्रेरणा जगाने के लिए है जिसकी पंक्तियां कुछ इस तरह है:-
Hindi Motivational Poem |
हार के अब तू जीतना सीख
हार के अब तू जीतना सीख,
मिले मौके को बटोरना सीख, रह गया था तू मंजिल को पाने से, इस बार उस मंजिल को पाना सीख।
हार के अब तू जीतना सीख,
जो छोडें थे सीढ़ी पे कदम, उन कदमों के छापों को गाढना सीख, उठ खड़ा अब हो तु जा उस आसमा में जीना सीख, उस आसमा में उड़ान सीख।
हार के अब तू जीतना सीख,
लोगों की तोहीन को अब वाह-वाह में बदलना सीख, उठ खड़ा अब हो तु जा उस आसमा में जीना सीख, उस आसमा में उडना सीख।
अटका था जिन सवालों पे तू , उन सवालों को हल करके देख।
बहाएं थे जो आंसू हार में, उन आंसूओं को जीत में बदल के देख। उठ खड़ा अब हो तु जा उस आसमा में जीना सीख, उस आसमा में उडना सीख।
छोडी थी मेहनत हार मे,
उस मेहनत को पुनः कर के देख।
मीट्टी सा जो तु मीठ गया था,
पत्थरों पर उमड के देख ।
झूके शीश जो तेरी हार से,
उस शीश को उठाना सीख।
उठ खडा अब हो तू जा उस आसमा मे जीना सीख उस आसमा मे उडना सीख।
भरोसे थे जो तुझ पर उस भरोसे, को पुनः जगाना सीख।
रह गई थी जो सफलता उस सफलता को पुनः पाकर देख।
रेत सा जो तू बिखर गया था, अब बिखर के संभलना सीख।
उठ खडा अब हो तु जा उस आसमा मे जीना सीख, उस आसमा मे उडना सीख।
दोस्तों हार और जीत दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण भाग है, इसीलिए ये सब तो जीवन में चलता ही रहेगा लेकिन आपको सदैव ही डट कर उसका सामना करना है और विश्वास कीजिये की आप अवश्य सफल होंगे।
पुष्प की अभिलाषा
Best Motivational Poem in Hindi for Students
Best Motivational Poem in Hindi for Students
आपके लिए Best Motivational Poem in Hindi जो की पुष्प की अभिलाषा है अर्थात पुष्प की इच्छा एक पुष्प क्या चाहता है एक फूल क्या चाहते हैं कविवर श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की अत्यंत सुंदर कविता पुष्प की अभिलाषा हमें बताती है कि किस प्रकार एक पुष्प भी देशभक्ति के लिए समर्पित होकर ना किसी अन्य जगह अपने प्राणों को त्यागने के बजाय वह उस मार्ग पर बिखर जाना चाहता है जहां सभी सिपाही जाते हैं किस प्रकार अपना सर्वस्व देश भक्ति और राष्ट्र के प्रति समर्पित करना चाहता है उसी के संबंध में अत्यंत सुंदर कविता इस प्रकार से है :-
पुष्प की अभिलाषा
Hindi Motivational Poem
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
-माखनलाल चतुर्वेदी
कलम, आज उनकी जय बोल !!
Hindi Motivational Poem |
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
-माखनलाल चतुर्वेदी
कलम, आज उनकी जय बोल !!
Hindi Motivational Poem
Friends आज मैं आपके लिए लेकर आया हूं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रसिद्ध Hindi Motivational Poem कलम, आज उनकी जय बोल !!जो की देशभक्ति से ओतप्रोत है जो कि स्मरण दिलाती है हमें उन सभी वीरों का जो हमारे लिए हमारे देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर गए
Hindi Motivational Poem
कलम, आज उनकी जय बोल !!
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
खुद पर तो विश्वास करो तुम !!
Hindi Motivational Poem
क्या है जीवन?
क्यों है जीवन?
इतना सा सवाल हैl
उत्तर दे सका ना कोई
बेबस हर इंसान हैll
पहले मैं भी सोचता था ,
जिंदगी एक खेल हैl
पर जीवन इम्तिहान है ,
कोई पास तो कोई फेल है l
जिंदगी है चांद सी,
उसमें भी पर दाग हैl
जीवन केवल खुशी नहीं ,
कष्ट यत्न और त्याग हैl
****************************
अतल अगम गहराई है ,
कर्मों की परछाई हैl
जीवन यू आसान नहीं,
जीवन तो कठिनाई हैl
जीवन में कठिनाई है ,
पर रुक जाना तो सही नहीं l
सफर जरा सा लंबा है,
पर थक जाना तो सही नहींl
उठो जगो एहसास करो तुम ,
थोड़ा तो प्रयास करो तुम l
कोशिश ताला है मंजिल का ,
मेहनत जिसकी चाबी हैl
मेहनत जो तुम करो जरा तो,
जीवन कामयाबी हैl
खुद पर तो विश्वास करो तुम ,
मृत देह मैं श्वास भरो तुमl
जीवन तुमको अवसर देगा,
उसके लिए प्रयास करो तुम l
जीवन तुमको अवसर देगा ,
उसके लिए प्रयास करो तुमl
-Hardik
Friends आज मैं आपके लिए लेकर आया हूं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रसिद्ध Hindi Motivational Poem कलम, आज उनकी जय बोल !!जो की देशभक्ति से ओतप्रोत है जो कि स्मरण दिलाती है हमें उन सभी वीरों का जो हमारे लिए हमारे देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर गए
Hindi Motivational Poem |
कलम, आज उनकी जय बोल !!
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
खुद पर तो विश्वास करो तुम !!
Hindi Motivational Poem
क्या है जीवन?
क्यों है जीवन?
इतना सा सवाल हैl
उत्तर दे सका ना कोई
बेबस हर इंसान हैll
पहले मैं भी सोचता था ,
जिंदगी एक खेल हैl
पर जीवन इम्तिहान है ,
कोई पास तो कोई फेल है l
जिंदगी है चांद सी,
उसमें भी पर दाग हैl
जीवन केवल खुशी नहीं ,
कष्ट यत्न और त्याग हैl
****************************
अतल अगम गहराई है ,
कर्मों की परछाई हैl
जीवन यू आसान नहीं,
जीवन तो कठिनाई हैl
जीवन में कठिनाई है ,
पर रुक जाना तो सही नहीं l
सफर जरा सा लंबा है,
पर थक जाना तो सही नहींl
उठो जगो एहसास करो तुम ,
थोड़ा तो प्रयास करो तुम l
कोशिश ताला है मंजिल का ,
मेहनत जिसकी चाबी हैl
मेहनत जो तुम करो जरा तो,
जीवन कामयाबी हैl
खुद पर तो विश्वास करो तुम ,
मृत देह मैं श्वास भरो तुमl
जीवन तुमको अवसर देगा,
उसके लिए प्रयास करो तुम l
जीवन तुमको अवसर देगा ,
उसके लिए प्रयास करो तुमl
-Hardik
-Hardik
Post a Comment